दिल्ली में जामिया मिलिया के स्टूडेंट के हिंसक प्रदर्शन देख कर हैरानी हुई प्रदर्शन किस लिए? क्या नागरिक संशोधन के बिरोध में लेकिन बिल से मुस्लिम समाज को क्या परेशानी है? वह किनके समर्थन के लिए हंगामा कर रहे हैं ? संसद के दोनों सदनों में लम्बी बहस के बाद लोकसभा एवं राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हुआ बबिल के हर पक्ष पर बहस हई 11 दिसम्बर को राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर के बाद कानून बन गया विधेयक से 'अफगानिस्तान ,पाकिस्तान एवं बंगला देश हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया' बिपक्ष बिल के विरोध में प्रचार कर रहा था यह बिल मुस्लिम बिरोधी है जबकि भारतीय मुस्लिम नागरिकों की नागरिकता पर कोई संकट नहीं था विपक्ष का कहना है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला और समानता के अधिकार के विरुद्ध है। किनकी समानता? अफगानिस्तान में तालिबानों का प्रभाव बढ़ने के बाद अफगानिस्तान में बसे हिन्दू एवं सिख अपना सब कुछ छोड़ कर भारत आने के लिए बिवश हो गये ।बनियान में पत्थर काट पर बनाई गयी प्राचीन महात्मा बुद्ध की प्रतिमा को बुतशिकनी मानसिकता वाले तालिबानों ने तोपों से हमला कर मूर्ति तोड़ दी। अफगानिस्तान से आये गैर मुस्लिम भारत में शरणार्थियों का जीवन बिताने लगे यही हाल पाकिस्तान और बंगला देश का रहा है । उन पर धर्म के आधार पर उत्पीड़ित किया वह देश छोड़ने के लिए विवश हो गये बंगलादेश के कट्टरपंथियों को गैर इस्लामिक कबूल नहीं हैं जबकि बंगलादेशी भारत में रोजी रोटी के लिए आते और बसते रहे हैं। बुद्धिजीवियों की पाकिस्तान में आवाज सत्ता की और बढ़ते मौलानाओं ने खामोश कर दी पाकिस्तान कट्टरपंथियों के आकाओं एवं सेना के प्रभाव में है जिनकी सोच कुफ्र, काफिर, सबाब और जेहादी मानसिकता है जो जन समाज पर हावी होती जा रही है।गैर इस्लामिक लोगों की हालत खराब हैं न वह सुरक्षित हैं न उनके बच्चे बेटियों को को घर से उठा कर कलमा पढ़वा कर बड़ी उम्र के पुरुषों से निकाह कर दिया जाता है किसी गैरमजहबी का धर्मपरिर्तन उनके लिए सबाब माना जाता है लेकिन बेटी और उनके परिवार के लिए संताप । निकाह के बाद भी वह सुरक्षित नहीं है जब चाहो तलाक दे कर निकाल दो । गैर इस्लामिकों को अपने मृतकों को अधिकतर गाड़ना पड़ता है ।मन्दिरों में 20 मन्दिर में ही पूजा का अधिकार है बाकी मन्दिर खंडहर हो रहे हैं न रोजी न बेटी ,न संस्कृति न धर्म सुरक्षित वह कहाँ जायें उनका एकमात्र सहारा भारत हैं यहाँ भी वह परदेसी हैं छुप कर जीवन बिताने के लिए विवश ।पारसी ईरान में इस्लाम के राजधर्म होने के बाद से धार्मिक उत्पीड़न से परेशान होकर भारत आये थे विभाजन के बाद जो पाकिस्तान में रह गये उनकी दयनीय दशा है । ईश निंदा के बहाने ईसाईयों को सताया जा रहा है उनके चर्च तोड़ दिए गये उनके अनुसार 'पाकिस्तान में हर व्यक्ति 2950 धारा से परेशान है क्योंकि उन्हें हमेशा इसके दुरुपयोग का डर सताता हैं। किसी मुस्लिम से विवाद होने पर उन्हें पीपीसी 295 सी के तहत बुक कर देते है ।वह अधिकतर कन्वर्ट हये ईसाई धर्मावलम्बी हैं भारत ही एक मात्र उनका सहारा है ।जनेवा में पाकिस्तानी ईसाईयों ने जलूस निकाल कर विश्व का ध्यान आकर्षित किया कैसे ईश निंदा के नाम पर इस्लामिक कट्टरपंथी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करते हैं । सिख बौद्ध जैन भारत की धरती के धर्म हैं ।विपक्ष का तर्क है मुस्लिम को नागरिकता कानून के अंतर्गत क्यों नहीं लिया गया जबकि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बक में विश्वास करती है । यह कानून हमारे संविधान के विपरीत है भारत एक धर्म निर्पेक्ष देश है यहाँ मौलिक अधिकारों के अनुसार सभी समान हैं । मुस्लिम का अपना देश है उनका उत्पीडन क्यों होगा बलोचिस्तान अदि में झगड़ा धार्मिक उत्पीड़न का नहीं है अधिकारों का है । पाकिस्तान का निर्माण ही भारत में दो राष्ट्रीयता एवं धर्म के आधार पर हुआ । ब्रिटिश विचारकों ने बांटों एवं राज करो की नीति के आधार पर मुस्लिमों को अपने समीप लाने की कोशिश की जिसका उद्देश्य मुस्लिमों को संगठित कर राष्ट्रीयता की विचारधारा को छिन्न भिन्न कर दिया जाये ।एक मुस्लिम डेपुटेशन श्री आगाखान के नेतृत्व 1 अक्टूबर 1906 के दिन बायसराय से मिलने गया जिसका वह इंतजार कर रहे थे। अपनी पुस्तक 'इंडिया मिंटो और मोरले' में लेडी मिंटो ने लिखा है आज एक बहुत बड़ी घटना हुई है कूटनीति का ऐसा कमाल हुआ है जो आगे आने वाले कई वर्षों में देश की राजनीति को प्रभावित करेगा जिसने 6 करोड़ 20 लाख लोगों को देशद्रोही विपक्ष अर्थात कांग्रेस से मिलने से रोक दिया।'
नागरिकता संशोधन बिल