निर्भयाः सुप्रीम कोर्ट ने पवन को नहीं माना नाबालिग


• निर्भया केस के दोषी पवन गुप्ता की याचिका ___ पर 2.30 पर आएगा SC का फैसला


• जस्टिस भानुमति की अगुआई में तीन जजों की बेंच ने पूछा- एक ही मुद्दा कितनी बार उठाएंगे


• पवन ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई अपनी अर्जी में दावा किया कि वह घटना के वक्त नाबालिग था


नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने नर्भया केस में दोषी ठहराए गए नवन गुप्ता की नाबालिग होने वाली याचिका को खारिज कर देया है। आपको बता दें कि पवन ने याचिका दाखिल कर कहा था के वह अपराध के वक्त नाबालिग याकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए साफ कहा कि अगर आप इस तरह अर्जी दाखिल करते रहेंगे तो यह अंतहीन क्रिया हो जाएगी। 3 जजों की बेंच का फैसला जस्टिस भानुमति की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने पवन की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दोपहर ढाई बजे तक के लिए सुरक्षित कर लया था। पवन ने सुप्रीम कोर्ट को दी अर्जी में कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट को भी यह बता चुका है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया। देल्ली हाई कोर्ट ने 19 देसंबर 2019 की सुनवाई में इस दलील को खारिज करते हुए पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया पवन के वकील याई कोर्ट में इस तथ्य को था।


पवन के वकील ने यह रखी दलील :


मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पवन गुप्ता की ओर दलील पेश नहीं की जा सकी थी। तब वह वकील नहीं थे। इस मामले में संबंधित अथॉरिटी को कहा जाए कि पवन को फांसी न दी जाए।


कोर्ट के तीखे सवाल :


मामले की सुनवाई के दौरान पवन के वकील ने कहा कि पवन की जन्मतीथि 8 अक्टूबर 1996 है और इस तरह दिसंबर 2012 को जब अपराध हुआ था तब वह नाबालिग थाइसके लिए स्कूल का सर्टिफिकेट पेश किया गया और कहा गया कि ये दस्तावेज नए फैक्ट हैं। लेकिन जस्टिस आर. भानुमति ने सवाल किया कि ये दस्तावेज 2017 का है और कोर्ट तब तक सजा दे चुकी थी। एपी सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर इस दस्तावेज को रेकॉर्ड पर नहीं रखा और ये साजिश हुई है। अदालत ने तब सवाल किया कि कोर्ट ने रिव्यू पिटिशन 9 जुलाई 2018 को खारिज कर दी थी। जस्टिस भानुमति ने कहा कि आपने पहले भी मुद्दा उठाया और खारिज हो गया इस तरह आप अर्जी दाखिल करते रहेंगे तो अंतहीन प्रक्रिया हो जाएगी। आप पहले से ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ये मुद्दा उठा चुके हैं।


पवन की रिव्यू पिटिशन हो चुकी है खारिज :


सरकारी वकील तुषार मेहता ने कहा कि पवन का जन्म प्रमाण पत्र पेश किया गया था और इससे साबित हुआ था कि वह नाबालिग नहीं थासुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में रिव्यू पिटिशन पर फैसला दिया था और नाबालिग होने का दावा खारिज किया था। कोर्ट ने कहा था कि इस आधार पर रिव्यू की पिटिशन पहले से खारिज हो चुकी है।


16 दिसंबर, 2012 को हुई थी दरिंदगी :


याद रहे कि 16 दिसंबर, 2012 को एक साइकोथेरपी इंटर्न निर्भया के साथ हुई जघन्य वारदात में शामिल छह दोषियों में एक को घटना के वक्त नाबालिग होने का फायदा मिल चुका है और वह महज तीन साल की सजा जबकि एक दोषी राम सिंह ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। शेष चार दोषियों, मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को फांसी पर लटकाने के लिए 1 फरवरी का डेथ वॉरंट जारी हुआ है। 


फांसी टालने पर तुले हैं सारे दोषी :


दिल्ली के पटिलाया हाउस कोर्ट से दुबारा जारी हुए डेथ वॉरंट में फांसी का समय सुबह 6 बजे तय किया गया है। इससे पहले 22 जनवरी का डेथ वॉरंट जारी हुआ था, तभी दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी थी। हालांकि, जब तिहाड़ जेल अधिकारियों ने कोर्ट को सूचना दी कि मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी तो कोर्ट ने 1 फरवरी का नया डेथ वॉरंट जारी किया। इसी क्रम में पवन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर निर्भया से दरिंदगी के वक्त खुद के नाबालिग होने की गुहार लगाया। वहीं, पवन, विनय और अक्षय के पास अभी दया याचिका दाखिल करने का भी विकल्प बचा है।