बजट 2020: जानिए अपना फायदा-नुकसान


फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को बजट में इनकम टैक्स रेट घटाकर एक नया टैक्स सिस्टम शुरू किया है। सितंबर 2019 में जिस तरह उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स घटाया था, उसी शर्त के साथ उन्होंने इस बार इनकम टैक्स में राहत दी है। निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स रेट में छूट तो दिया है लेकिन साथ ही एक शर्त भी लगा दी है। शर्त यह है कि अगर आप कोई छुट या रिबेट नहीं लेते हैं तभी आपको इनकम टैक्स रेट में कमी का फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर 70 रिबेट छोड़ने के बाद आपको नए टैक्स सिस्टम का फायदा मिलेगा जिनमें से ज्यादातर 80 और 803के हैं।


 कोई रिबेट नहीं लेने पर आपका कितना नुकसान या फायदा?


निर्मला सीतारमण ने मौजूदा छूट छोडने की जो शर्त रखी है वह नए स सिस्टम की सबसे कडी शर्त है। चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक अनेजा नए टैक्स सिस्टम के बारे में बताते हैं । सामान्य शब्दों में इसे गुगली बजट कह सकते हैं। इसमें टैक्सपेयर्स को कुछ खास फायदा नहीं होगा।' उन्होंने कहा कि नए टैक्स सिस्टम में इनकम टैक्स के सेक्शन 80C, 80D, 24 के तहत मिलने वाले सभी छूट का फायदा खत्म हो जाएगा। इसका मतलब यह है कि 800 के तहत अभी तक आप LIC, PPE, NSC, यूलिप, ट्यूशन फीस, म्यूचुअल फंड थंएए, पेंशन फड, होम लोन, बैंकों में टर्म डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस में 5 साल के डिपॉजिट और सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करके जो टैक्स छूट का फायदा लेते थे वह खत्म हो जाएगा। 800 के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पर भी टैक्स छूट छोड़ना होगा।


अनेजा कहते हैं, '4-5 साल पहले यह चर्चा चलती थी कि सरकार 80C, 80D जैसे छूट खत्म करके 10 लाख रुपए तक की आमदनी पर टैक्स छूट दे। लेकिन सरकार ने अब जो नियम बदले हैं उसमें ज्यादातर टैक्सपेयर्स को इसका फायदा नहीं मिलेगा। फाइनेंस मिनिस्टर ने स्लैब में बड़ा बदलाव किए बगैर टैक्स छट छोड़ने की शर्त जोड़ दी है।'


अनेजा बताते हैं कि इस स्कीम का एक नुकसान यह है कि इसमें लॉस कैरी फॉरवर्ड करने का विकल्प नहीं रहेगा। अभी तक होता यह आया है कि टैक्सपेयर्स को प्रॉपर्टी बेचकर या शेयर बेचकर नुकसान होता है तो उसे अगले साल फॉरवर्ड कर सकते हैं। यानी अगले साल हई आमदनी से उस नुकसान को घटाकर टैक्सेबल आमदनी जोड़ी जाती थी। नए टैक्स सिस्टम में यह फायदा भी खत्म हो जाएगा। इस स्कीम में हर टैक्सपेयर्स को रिबेट के साथ और बिना रिबेट के अपना टैक्स कैलकुलेशन करना होगा, यानी इसमें उनकी मेहनत और वक्त दोनों जाएगा।


इकोनॉमी का नुकसान


इनकम टैक्स के नए सिस्टम से इकोनॉमी को कछ खास सपोर्ट मिलता नजर नहीं आ रहा है। अभी तक टैक्स छट की वजह से टैक्सपेयर्स था लेते थे। लेकिन अब जो लोग नए टैक्स सिस्टम का फायदा लेना चाहेंगे वो टैक्स सेविंग्स के लिए इंश्योरेंस नहीं खरीदेंगे।


इंश्योरेंस इंडस्टी की मांग थी कि 80C के तहत डिडक्शन 1.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 2 या 3 लाख रुपए कर दिया जाए। लेकिन नए टैक्स सिस्टम ने टैक्स सेविंग्स के लिए इंश्योरेंस खरीदने की जरूरत ही खत्म कर कुछ ऐसा ही रियल एस्टेट सेक्टर के साथ भी हो सकता है। टैक्सपेयर्स होमलोन पर टैक्स छुट के लिए भी घर खरीदते हैं। लेकिन अब होमलोन के प्रिंसिपल या उसके इंटरेस्ट पर कोई छूट नहीं मिलेगा तो मुमकिन है कि इसका असर रियल एस्टेट की बिक्री पर पड़े।


किसे होगा नए टैक्स सिस्टम से फायदा?


चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक अनेजा का कहना है कि इसका फायदा सिर्फ उन लोगों को होगा जिन्होंने किसी भी तरह का कोई निवेश नहीं किया है।


क्या है नया टैक्स सिस्टम


नए रेट के मुताबिक, 5 लाख रुपए तक की टैक्सेबल आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। अगर आपकी आमदनी 5 लाख रुपए से लेकर 7.5 लाख रुपए तक है तो आपको अब सिर्फ 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स देना होगा। पहले इस पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता था


अगर आपकी सालाना टैक्सेबल आमदनी 7.5 लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक है तो उस पर नए रेट के मुताबिक, अब 15 फीसदी टैक्स देना होगापहले यह 20 फीसदी के दायरे में आता था। अब जिनकी सालाना टैक्सेबल आमदनी 10 लाख से 12.50 लाख रुपए है उन्हें नए रेट के हिसाब से 20 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा। पहले उन्हें 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता था।


नए टैक्स रेट के मुताबिक, जिनकी सालाना टैक्सेबल आमदनी 12.5 लाख रुपए से 15 लाख रुपए के बीच है उन्हें अब 25 फीसदी टैक्स देना होगा। पहले उन्हें 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता था।


अगर आपका सालाना टक्सबल आमदनी 15 लाख रुपए स ज्यादा है तो आपको 30 फीसदी टक्सदना होगा