BMC की 'गलती' की सजा भुगतेगी जनता!


मुंबई, देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे से बिजली पैदा करने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन, बीएमसी प्रशासन की लापरवाही के कारण मुंबईकरों पर इसके लिए 173 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। बीएमसी प्रशासन से मंजूर किए गए टेंडर को ठुकराते हुए स्थायी समिति ने दूसरे नंबर की कंपनी को परियोजना का ठेका दे दिया। कचरे से बिजली उत्पादन का जो काम 648 करोड़ में होना था, वह बीएमसी की अनियमितता के कारण अब 821 करोड़ में होगा। मंगलवार को स्थायी समिति में देवनार बिजली परियोजना को मंजूरी के लिए पेश किया गया। इसकी टेंडर प्रक्रिया पर नगरसेवकों ने सवाल उठाते हुए अधिकारियों पर घोटाले का आरोप लगाया। स्थायी समिति में सभी दलों के नगरसेवकों ने बीएमसी प्रशासन को जमकर लताड़ लगाई। अतिरिक्त आयुक्त बेलारासु ने स्थायी समिति के समक्ष स्वीकार किया कि टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई है। इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने कहा कि बीएमसी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि बीएमसी ने टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता की बात स्वीकार की है। यह बीएमसी पर कलंक है।


क्या है मामला


मनपा प्रशासन ने देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे से बिजली बनाने के लिए जिस कंपनी को ठेका देने का निर्णय लिया था, उस कंपनी ने ठेका प्रक्रिया में दर भरने वाले सी पैकेट में पैसों का उल्लेख ही नहीं किया था। बावजूद इसके मनपा ने ठेकेदार को कचरे से बिजली बनाने का ठेका दिया था। मनपा के इस निर्णय पर चेन्नै की एमएसडब्ल्यू और सुएज एनवायर इंडिया लिमिटेड कंपनी आगे आई थीं। चेन्नै की कंपनी ने निविदा प्रक्रिया में सी पैकेट, जिस पर काम करने की कीमत भरी जाती है, उसे भरा ही नहीं था, जबकि दूसरे स्थान की कंपनी सुएज ने निविदा प्रक्रिया में काम करने की कीमत भरी थी। बाद में जब टेंडर प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाने लगा, तब चेन्नै की कंपनी की कीमत सामने आई। कंपनी का कम रेट होने के कारण उसे प्रशासन ने ठेका दे दिया