0 एल्गार परिषद की जांच और एनपीआर को लेकर महाराष्ट्र सरकार के सहयोगियों में मतभेद, एनसीपी चीफ शरद पवार ने बुलाई अपने मंत्रियों की बैठक
0 सोमवार को महाराष्ट्र सरकार में शामिल एनसीपी के सभी 16 मंत्रियों के साथ मीटिंग करेंगे पवार, एल्गार परिषद केस की जांच को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे ने पलटा अपना रुख
० हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से उसे कोई एतराज नहीं है, पहले एनआईए जांच के केन्द्र के फैसले का किया था विरोध
मुंबई, एल्गार परिषद की जांच और एनपीआर को लेकर महाराष्ट्र सरकार के सहयोगियों के बीच चल रहे मतभेद को लेकर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने सोमवार को अपनी पार्टी के सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में राज्य सरकार में शामिल एनसीपी के सभी 16 मंत्री शामिल होंगे। माना जा रहा है कि मीटिंग में एल्गार परिषद केस और एनपीआर जैसे मुद्दों पर शिवसेना और अन्य सहयोगी पार्टियों के बीच चल रहे मतभेद को लेकर चर्चा होगी।
पवार का आरोप है कि महाराष्ट्र की पूर्व फडणवीस सरकार पुणे में हए एल्गार परिषट केस में 'कळ ळपाना चाहती थी। इसीलिए केंद्र सरकार ने राज्य में सत्ता बदलते ही अचानक इस केस की जांच महाराष्ट्र पुलिस से छीनकर एनआईए को सौंप दी। माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामले की पड़ताल विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपे जाने की पहले ही मांग कर चुके पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को जांच एनआईए को सौंपने से पहले राज्य सरकार को भरास मलना चाहिए था।
शिवसेना ने बदला था अपना करव
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना 'राष्ट विरोधी' गतिविधि है? पवार ने जलगांव में संवाददाताओं से कहा, 'यहां ऐसा लगता है कि तत्कालीन फडणवीस सरकार कुछ छुपाना चाहती थी, इसलिए जांच एनआईए को सौंप दी गई। जिस समय कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई, उस समय फडणवीस सरकार सत्ता में थी।'
पवार ने कहा कि एल्गार परिषद मामले की जांच केंद्र के विशेषाधिकार के दायरे में आती है, लेकिन उसे राज्य को भी भरोसे में लेना चाहिए था।
पवार ने कहा कि कोरेगांव-भीमा और एल्गार परिषद पुणे में हिंसा से एक दिन पहले हुए थे और दोनों अलग मामले हैं। अपने रुख में बदलाव करते हुए हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने कहा था |कि एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से उसे कोई एतराज नहीं है। हालांकि, पिछले महीने इस मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपे जाने के कदम की राज्य की शिवसेना- कांग्रेस-एनसीपी नीत सरकार ने निंदा की थी।
यह है एल्गार परिषद केस
यह मामला पुणे के शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद संगोष्ठी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुलिस ने दावा किया था कि इन भाषणों के चलते ही अगले दिन जिले के कोरेगांव- भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।
पुलिस ने दावा किया था कि संगोष्ठी के आयोजन को माओवादियों का समर्थन था। जांच के दौरान पुलिस ने वामपंथी झुकाव वाले कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
सीएम को गृहमंत्री के फैसले को बदलने का अधिकार
महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी कांग्रेस की ओर से मंत्री और वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने रविवार को एल्गार परिषद मामले की जांच को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को ट्रांसफर करने को लेकर कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे को राज्य के गृह मंत्री के फैसले में बदलाव का अधिकार है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या सीएम उद्धव ने इस मामले को लेकर कैबिनेट में चर्चा की थी तो उन्होंने इसपर नकारात्मक जवाब दिया।
एनपीआर को लेकर भी पवार-उद्धव में तनातनी
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने कहा था भीमा कोरेगांव मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस करेगी, लेकिन इसके बाद में उद्धव ठाकरे ने इस मामले की जांच एनआईए को सौंपने का फैसला कर लिया। जिसके बाद उद्धव और पवार में तनातनी बढ़ गई थी। दूसरी ओर उद्धव ने महाराष्ट्र में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी मंजरी दे दी है। ठाकरे ने कहा था कि एनपीआर में जनता के खिलाफ कुछ भी नहीं है। वहीं, एनसीपी और कांग्रेस इससे इत्तेफाक नहीं रखती है।