नई दिल्ली, नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर दिल्ली में भारी उपद्रव किया जा रहा है। उपद्रवी बड़ी बेरहमी के साथ आम लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लोगों के घरों पर पत्थर फेंके गए, आग लगाई गई। यहां तक कि पेट्रोल पंप को भी आग के हवाले कर दिया गया। विरोध के नाम पर ये लोग इतने आक्रोशित हो गए हैं कि इन्हें किसी की जान लेने में भी गुरेज नहीं हो रहा हैउपद्रवियों की ओर से की गई फायरिंग में हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की जान चली गई। हिंसा में मोहम्मद फुरकान नामक शख्स की भी जान चली गई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर विरोध प्रदर्शन के नाम पर उपद्रवियों की हिंसा को जायज कैसे ठहराया जा सकता है।
एक भारतीय की कैसे ले सकते हैं जान?
सीएए का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि वे भारतीय हैं। उनका आरोप है कि सीएए कानन के जरिए उनकी नागरिकता छिनने की तैयारी हैजबकि भारत सरकार सौ दफे कह चुकी है कि सीएए नागरिकता छिनने नहीं देने का कानून है। उपद्रवियों के बीच भ्रम है कि देशभर में एनआरसी लाया जाएगा। जबकि खद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि फिलहाल एनआरसी की कोई बात नहीं हई है। इसको लेकर कैबिनेट की कोई बैठक तक नहीं हई है। इन सारी बातों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि उपद्रव की भेंट चढ़े कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत का जिम्मेदार कौन है। आखिर वह तो भारत के नागरिक थे। वह तो अपनी सेवा दे रहे थे। ऐसे में भला तथाकथित तौर पर अपनी नागरिकता बचाने की लड़ाई लड़ने वालों ने कैसे उनकी जान ले ली।
विरोध के नाम पर हत्या की इजाजत किसने दी?
हमारा संविधान सरकार के द्वारा बनाए गए किसी भी कानुन या फैसले के प्रति विरोध जताने का अधिकार देता है। लेकिन विरोध के नाम पर किसी को नुकसान पहुंचाने की इजाजत कतई नहीं है। इस देश को स्वतंत्रता दिलाने वाले महात्मा गांधी पूरे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंसा को हमेशा रोकने की कोशिश करते रहे। वे किसी भी सूरत में हिंसा का समर्थन करने को तैयार नहीं थे। साल 1922 में जब उनके द्वारा छेड़ा गया असहयोग आंदोलन अंग्रेजों पर भारी पड़ रहा था तब उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा नामक जगह पर आंदोलनकारियों ने पुलिस वालों के साथ हिंसा की थी, जिसके बाद गांधी ने आंदोलन को अचानक से बंद कर दिया था। उनका यह फैसला दर्शाता है कि वह स्वतंत्रता जैसी बड़ी सफलता के लिए भी हिंसा की एक घटना को भी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। गांधी से प्रेरित होकर हम विरोध तो करना सीख गए हैं, लेकिन उसके साथ अहिंसा के पाठ को अपनाना शायद भूल गए हैं।
सीएम केजरीवाल ने ट्विटर पर जताया दुख
सीएए के विरोध के नाम पर दिल्ली में हिंसा जारी है। एक हेड कॉन्स्टेबल की हत्या और डीसीपी व छह पुलिसकर्मी चोटिल हैं। इसपर राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर दुख जताया है।