विशाखापट्टनम, जब भुट्टे के दाने कीमती रत्नों जैसे चमक उठते हैं तो अभिनव गंगुलमल्ला और रेणु राव के चेहरे पर खुशी देखते ही बनती है। सात वर्षों तक इन दोनों ने खासी मशक्कत की और कांच सरीखे मक्के के दाने वाले भट्टे की फसल तैयार करने में कामयाब रहे हैं। मूल रूप से नॉर्थ अमेरिका में इस तरह के भट्टों की खेती होती है लेकिन अब इन्हें हैदराबाद में तैयार किया जा रहा है।__ अभिनव और रेण वर्ष 2013 से ही फसल को तैयार करने के तरीके को समझने में जुटे थे लेकिन उन्हें अब खास भट्टों को उगाने में सफलता मिली हैकांच सरीखे रत्न वाले भट्टों के दानों को उगाने में अभिनव और रेण के कई प्रयास असफल भी रहे लेकिन उन्होंने अपने प्रयासों की रफ्तार धीमी नहीं की। उन्होंने स्ट्रॉबेरी कॉर्न और पर्पल कॉर्न उगाने में सफलता हासिल की है। अभिनव गंगमल्ला ने विशाखापट्टनम स्थित गीतम यूनिवर्सिटी से बीटेक किया है। उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि वह चूहे-बिल्ली की दौड़ से खुश नहीं थे, जिसकी वजह से उन्होंने स्थायी रूप से खेती करने का मन बनाया। अभिनव अब वेलनेस कोच भी हैं. उन्होंने वर्ष 2010 में 'Hyderabad Goes Green' नाम से एक स्टोर भी शुरू किया था। इसके बाद वर्ष 2014 में उनकी सहयोगी रेणु राव और उन्होंने मिलकर 4.5 एकड़ जमीन खरीदी ताकि वहां स्थायी तौर पर खेती की जा सके। उनके खेत को 'बियॉन्ड आगानक नाम से जाना जाता है, यहां पर देसी बीजों का संरक्षण किया जाता है। भुट्टों की विभिन्न किस्मों को तैयार करने के स्थायी तरीके के बारे में अभिनव कहते हैं, 'जब मैंने कांच सरीखे भुट्टों के दान दख ता मरा आखा म आसू छलक आए। हमन इसके सात साल तक कड़ी मेहनत की। चूंकि हमे ये खूबसूरत भुट्ट तैयार करने थे तो हमें कई बार असफलता का सामना भी करना पड़ा।'