'सीएम बनना मेरा सपना नहीं था, हम हिंदुत्ववादी हैं और रहेंगे' : उद्धव ठाकरे


 » महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री बनना मेरा सपना नहीं था 


 »शिवसेना प्रमुख ने कहा कि हम हिंदुत्ववादी हैं और रहेंगे


 » बीजेपी से संबंधों पर उद्धव बोले- मैंने रिश्ते को बचाने


 » बीजेपी से संबंधों पर उद्धव बोले- मैंने रिश्ते को बचाने पहला का आखिर तक प्रयास   किया 


» बालासाहेब को दिए वचन को निभाने के लिए किसी भी स्तर तक जाने की मेरी तैयारी थी


मुंबई, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा स्वीकार कि मुख्यमंत्री बनना कभी उनका ठाकरे सपना या महत्वाकांक्षा नहीं थी 'लेकिन जब उन्हें इस बात का संजय एहसास हुआ कि भाजपा के साथ रहकर वह अपने पिता से किया 'हिंदुत्ववादा पूरा नहीं कर सकते, तो उन्होंने यह बड़ी जिम्मेदारी हैस्वीकार करने का फैसला किया। 'ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र ('सामना' के कार्यकारी संपादक शिवसेना संजय राउत को दिए एक सकता साक्षात्कार में कहा कि उनके लिए जैसे 'हिंदुत्व' का मतलब अपने द्वारा कहे गए शब्दों का सम्मान करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह 'संयोग से मुख्यमंत्री' (एक्सीडेंटल मुख्यमंत्री) बने हैं, शिवसेना अध्यक्ष ने कहा, “हो सकता है।''राकांपा और कांग्रेस जैसे वैचारिक रूप से अलग दलों के साथ गठबंधन करने के बारे में ठाकरे ने कहा कि इस प्रकार के गठबंधन पहले भी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य और देश का हित हर विचारधारा से बड़ा हैउन्होंने कहा, “राजनीतिक ताकत मेरे लिए नई बात नहीं है क्योंकि मैंने अपने पिता (दिवंगत शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे) को बचपन से इसे संभालते देखा। मेरे लिए सत्ता की ताकत (मुख्यमंत्री का पद) नयी बात है।" शिवसेना अध्यक्ष ने कहा, “मुख्यमंत्री बनना अपने पिता से किया गया वादा पूरा करने की दिशा में मेरा पहला कदम है।” ठाकरे ने कहा हैकि उन्होंने निर्णय किया था कि उन्होंने निराशा किसी शिवसैनिक को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का पिता से किसा गया वादा पूरा करने के मैंने लिए वह किसी भी हद तक याद जाएंगे। उन्होंने कहा, “मुझे जब बनी एहसास हुआ कि मैं भाजपा के । होने " साथ रहकर अपने पिता का सपना । साकार नहीं कर सकता तो मेरे - मीना पास बड़ी जिम्मेदारी स्वीकार - करने के अलावा कोई विकल्प . प्रतिक्रिया नहीं बचा।” यह पूछे जाने पर कि क्या उनके मुख्यमंत्री पद स्वीकार करने से लोगों को झटका लगा है, ठाकरे ने कहा, “राजनीतिक झटके कई प्रकार के होते हैं।" उन्होंने कहा, “वादे पूरे करने के लिए होते हैं। वादा टूटने से निराशा तथा गुस्सा पैदा हुआ और फिर मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा। मुझे नहीं पता कि भाजपा इस झटके से उबर पाई है या नहीं। मैंने क्या बड़ी चीज मांगी थी... चांद या तारे? मैंने बस उन्हें यह याद कराया था कि लोकसभा चुनाव से पहले किस बात पर सहमति बनी थी।” चुनाव अकेले लड़ने के अपने पहले के रुख में बदलाव । होने के बारे में ठाकरे ने कहा, “जब (तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष) अमित शाह मेरे पास आए, मुझे लगा कि फिर से शुरुआत करने में । क्या नुकसान है।" जब ठाकरे से यह पूछा गया कि यदि उनकी मां : मीना ठाकरे जीवित होतीं, तो उनके मुख्यमंत्री बनने पर उनकी क्या - प्रतिक्रिया होती, उन्होंने कहा कि मां को लगता कि “हे भगवान, क्या वह यह जिम्मेदारी निभा पाएगा।" उन्होंने कहा, "लेकिन मैं जो कुछ करूंगा, ईमानदारी से करूंगा।” ठाकरे विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं। चुनाव लड़ने के संबंध में सवाल पूछे जाने पर ठाकरे ने कहा, “आगामी दो-तीन महीने में, मैं इस बारे में फैसला करूंगा। मैं अपनी जिम्मेदारियों से कभी नहीं भागूंगा।”