BMC के अस्पताल कंगाल, मरीज बेहाल


मुंबई, देश की सबसे बड़ी और अमीर महानगरपालिका बीएमसी के अस्पतालों की स्थिति बदतर हो चुकी है। पता चला है कि इन अस्पतालों में क्रीम, सिरप, केमिकल, पट्टीसिरिंज और ब्लड बैग जैसी चिकित्सकीय सामग्री तक नहीं हैं। इनके टेंडर खत्म हो चुके हैं। बता दें कि बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग का बजट ३,७०३ करोड़ रुपये हैलेकिन इसका लाभ अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। एनबीटी लंबे समय से बीएमसी के अस्पतालों की लापरवाही और अनियमितताओं का खुलासा करता रहा है।


अस्पतालों में दवाओं के जरूरी, लेकिन कम स्टॉक से किसी तरह काम चलाया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया में लगने वाले समय को देखते हुए अगले दो-तीन महीनों तक यही स्थिति बनी रहने की संभावना है। इसके वजह से मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें मजबूरी में आस-पास के स्टोरों से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।


दवाएं खरीदने की प्रक्रिया फाइलों में


बीएमसी अस्पतालों में १२ प्रकार की शेड्यूल सामग्री की आपूर्ति की जाती है। इनमें से छह तरह की सामग्री के टेंडर खत्म हो चुके हैं। सितंबर से नवंबर तक टेंडर समाप्त होने के बावजूद अब तक इनकी खरीदी की प्रक्रिया फाइलों में ही है। कई सामग्री खरीदने की तो प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है। स्थायी समिति से टेंडर को मंजूरी मिलने के बाद भी ४५ दिन का समय ठेकेदार को आपूर्ति के लिए दिया जाता है। जाहिर तौर पर अस्पतालों में सामग्री पहुंचने में करीब तीन महीने का समय लग सकता है। 'अधिकारियों की जेब से ली जाए रकम' स्वास्थ्य समिति चेयरमैन अमेय घोले ने अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्था की कमी के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, इसका समाधान तुरंत किया जाना चाहिए। जिस तरह से गड्ढे न भरने पर अधिकारियों को रकम देने का निर्देश दिया गया था, उसी तरह समय पर दवाओं की खरीदारी न करने वाले अधिकारियों की जेब से रकम ली जानी चाहिए।' एनासा नगरसेविका डॉ. सईदा खान ने कहा, 'आखिर अस्पताल खोले क्यों हैं? यह मामला स्तब्ध कर देने वाला है।'