इतिहास की सबसे बड़ी मंदी से मुकाबला

 पिछले दिनों इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल पाइन सा (आईआईएफ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण इस साल दुनिया की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में 1.5 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी 2020 में विश्व की जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से हैंघटाकर 0.4 प्रतिशत कर दिया हैं। आईआईएफ की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और यूरोप मिलती महामंदी की ओर बढ़ रहे हैं। इस साल अमेरिका की जीडीपी वृद्धि में 2.8 प्रतिशत और यूरोप की जीडीपी वृद्धि में 4.7 प्रतिशत की कमी आ सकती है। महामंदी की ओर मोर्गन स्टेनले और गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री भी विश्वव्यापी मंदी की पुष्टि कर रहे हैं।


इन अर्थशास्त्रियों के अनुसार इस साल वैश्विक विकास दर घटकर 0.9 प्रतिशत पर आ सकती है। इस मामले में भारत की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। कोरोना वायरस के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की दिहाड़ी जीडीपी वृद्धि दर में भी गिरावट आने की आशंका है। इसके 4 प्रतिशत के आसपास रहने का अनमान है। कोरोना वायरस की वजह से भारत में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह की कार्यों खरीदारी पूरी तरह से बंद हो गई है। लोग भीड़ में जाने से बच रहे हैंसेवा क्षेत्र में अममन ब्यूटी पार्लर, किराना एवं जनरल स्टोर्स, मेडिकल स्टोर्स, रिक्शा, ऑटो रिक्शा, कैब, बिजली मिस्त्री, होटल व रेस्तरां, सिक्योरिटी गार्ड्स आदि आते हैंअसंगठित क्षेत्र होने के कारण जिनमें इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की संख्या का सरकार के पास कोई प्रामाणिक आंकड़ा नहीं है। एक लगभग 10 करोड़ रोजगार हैं करीब 153 अरब डॉलर का अनुमान के अनुसार भारत के कुल कामगारों में से 93 प्रतिशत, संख्या में लगभग 40 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र से जुड़े हैं, जिनमें से लगभग 9.30 करोड़ ऐसे हैं, जिन्हें साल भर रोजगार नहीं मिलता है। जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के मुताबिक भारत के असंगठित क्षेत्र में 75 प्रतिशत लोग स्वरोजगार कर रहे हैं, जिन्हें अवकाश, भविष्य निधि, मेडिकल, बीमा एवं अन्य कल्याणकारी सविधाएं नहीं मिलती हैं। लॉकडाउन के कारण अधिकांश कामगारों को घर पर बैठना पड़ा है।देश की करीब 7.50 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का भारतीय अर्थव्यवस्था की वद्धि में महत्वपूर्ण योगदान है। इस क्षेत्र में लगभग 18 करोड़ रोजगार हैं और अर्थव्यवस्था को यह क्षेत्र करीब 1183 अरब डॉलर का योगदान देता है,


जबकि इस क्षेत्र में सिर्फ 70 लाख एमएसएमई ही पंजीकृत हैं। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर काम करते हैंसिर्फ शहरी इलाकों में लगभग 25 से 30 प्रतिशत लोग दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। आज सभी बेरोजगार हो गए हैं। भारत में रीयल एस्टेट सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र है. लेकिन निर्माण गतिविधियों के ठप पड़ने के कारण निर्माण कार्यों से जुड़े मजदूरों के लिए रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। साथ ही साथ डिवेलपर्स की आय में भी भारी कमी आने का अनुमान है। रिटेलर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत में खुदरा क्षेत्र में लगभग 60 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जिनमें से तकरीबन 40 प्रतिशत यानी 24 लाख लोगों की नौकरी आगामी महीनों में जा सकती है। देश भर के सभी मॉल्स, सुपर अनुसार आगामी 6 महीनों में प्रतिशत तक की कमी आ सकती मार्कट्स और अन्य खुदरा दुकानों को 15 अप्रैल तक के लिए बंद कर दिया गया है। आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के उत्पादों का उत्पादन बंद है। सूचना और प्रौद्योगिकी समेत दूसरे क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर कामगारों की नौकरी जाने का खतरा बना हुआ । हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कंपनियों से अपने कर्मचारियों का वेतन नहीं काटने और उनकी छंटनी नहीं करने के लिए कहा , लेकिन भारी नुकसान की वजह से कारोबारी शायद ही प्रधानमंत्री की बात को अमल में लाएं।


2020 , महाराष्ट्र केस अनिश्चितता के माहौल में कामगारों को नौकरी से धीरे-धीरे निकाला जाने लगा है। रिटेलर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के ही अनुसार आगामी 6 महीनों में खुदरा क्षेत्र की कमाई में 90 प्रतिशत तक की कमी आ सकती भारत में 5 लाख से भी ज्यादा बड़े ब्रांड वाले स्टोर्स कोरोना वायरस के कारण बंद हैं। खुदरा क्षेत्र के अलावा एमएसएमई क्षेत्र, कॉरपोरेट्स क्षेत्र के प्रफेशनल्स आदि की आय में भी भारी गिरावट आने का अंदेशा है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से उद्योगों और कारोबारों के लिए राहत की मांग की है। यह भी चाहता है कि फिक्की कोरोना वायरस से प्रभावित कंपनियों के नए मामलों को ऋण शोधन एवं दिवालिया संहिता के तहत राष्टीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण में न लाया जाए. ताकि स्थिति ठीक होने पर कंपनियां अपना कारोबार करती रहें। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों को कहा है कि वे कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) राशि कुछ राज्य सरकारों ने मजदूरों राशन देने की घोषणा की है तो का इस्तमाल काराना पीड़िता की मदद म कर सकत है। अब कपनिया का मदद का पहल करन का जरूरत हगारतलब ह ९ कि किसा भा कपना कलिए एक वित्त वष म अपन तान साल कवाषिक शुद्ध लाभ म स कम स कम दो प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करना जरूरी होता है।


इधर, कुछ राज्य सरकारों ने मजदूरों एव कामगारा का एक महान का राशन देने की घोषणा की है तो कुछ ने आर्थिक मदद, जबकि कद्र सरकार न आयकर, वस्तु एव सवा कर (जाएसटा) क अनुपालन क मामल में कई तरह का राहत का एलान किया है। भारी नुकसान को देखते हुए इन राहत उपायों को पर्याप्त नहीं माना जा सकता है। आपसी सहयोग जरूरी भले ही अर्थव्यवस्था बद-से- बदतर हो रही है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। अभी हमारा लक्ष्य कोरोना को भगाने का होना क चाहिए। कुछ वक्त जरूर लगेगा, र लगा लेकिन अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट सकती है। यदि सरकार, बैंक, कारोबारी और सभी कर्मचारी मिलकर काम करेंगे तो निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था गति पकड़ लेगी। कोरोना प्रभावित देशों द्वारा " अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार । क अनुसार एक-दूसरे की मदद करने पर अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और भी आसान हो जाएगा।